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Premanand Ji Maharaj: इन 5 जगहों पर मौन रहना है जरूरी, वरना बढ़ेंगी परेशानियां!

माला जपते समय मौन क्यों जरूरी है? भोजन और शौच के दौरान बात करने से क्या होता है नुकसान? प्रेमानंद जी महाराज की ये सलाहें न सिर्फ आपके स्वास्थ्य बल्कि आत्मिक शांति का भी रास्ता हैं। जानिए उनकी जीवन बदलने वाली सीखें

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Premanand Ji Maharaj: इन 5 जगहों पर मौन रहना है जरूरी, वरना बढ़ेंगी परेशानियां!
Premanand Ji Maharaj: इन 5 जगहों पर मौन रहना है जरूरी, वरना बढ़ेंगी परेशानियां!

प्रेमानंद जी महाराज का नाम आध्यात्मिक जगत में बड़े आदर और श्रद्धा से लिया जाता है। उनकी शिक्षाएं न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में लाखों लोगों को जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। उनके सत्संग और प्रवचनों में आम आदमी से लेकर प्रसिद्ध हस्तियां तक भाग लेती हैं। महाराज की बातें जीवन को सफल और संतुलित बनाने का मार्ग प्रशस्त करती हैं।

महाराज की शिक्षाओं में मौन का विशेष महत्व है। वे जीवन के कुछ महत्वपूर्ण कार्यों के दौरान मौन रहने की सलाह देते हैं। इन बातों को अपनाकर न केवल एक व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहता है, बल्कि यह आत्मिक उन्नति का भी मार्ग है।

माला जपते समय मौन रहने का महत्व

प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, जब व्यक्ति माला का जाप करता है, तो उसे पूर्ण मौन में होना चाहिए। माला जपते समय किसी से बातचीत करना जप के फल को नष्ट कर सकता है। यह समय भगवान का ध्यान और प्रार्थना के लिए होता है, जिसमें कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।

महाराज कहते हैं कि माला जप के दौरान मौन रहने से मानसिक एकाग्रता बनी रहती है, जिससे व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक शांति का अनुभव होता है।

भोजन करते समय बातचीत से बचने की सलाह

भोजन के समय बातचीत से बचने की सलाह देते हुए प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। भोजन करते समय बातचीत करने से सांस लेने वाली नली खुल जाती है, जिससे भोजन गलती से उसमें जा सकता है। इसका परिणाम खांसी या दम घुटने जैसी गंभीर समस्याओं में हो सकता है।

महाराज का मानना है कि भोजन एक पवित्र क्रिया है, जिसे ध्यान और शांतिपूर्वक करना चाहिए।

शौच के समय मौन रहने का अनुशासन

आज के डिजिटल युग में लोग शौच के समय भी मोबाइल पर बात करने से नहीं चूकते। प्रेमानंद जी महाराज इसे स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक मानते हैं। उनके अनुसार, इस दौरान बातचीत करने से हानिकारक कीटाणु शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।

शौच एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे मौन और अनुशासन में पूरा करना चाहिए। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, बल्कि मानसिक शांति के लिए भी जरूरी है।

हवन करते समय मौन का महत्व

हवन करते समय प्रेमानंद जी महाराज मौन रहने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि हवन के दौरान व्यक्ति को केवल भगवान के ध्यान में रहना चाहिए। इस समय अनावश्यक बातचीत करने से पूजा का प्रभाव कम हो सकता है।

महाराज बताते हैं कि हवन का समय आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने और आत्मा को शुद्ध करने का होता है। यह तभी संभव है जब व्यक्ति पूरी तरह से मौन और समर्पित हो।

चलते हुए बात करने से बचने की सीख

रास्ते में चलते समय बात न करने की सलाह भी महाराज देते हैं। उनके अनुसार, चलते समय ध्यान भटक सकता है, जिससे दुर्घटना होने का खतरा बढ़ जाता है।

अगर चलते समय किसी का फोन आता है, तो बेहतर है कि कहीं रुककर बात करें। यह सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

1. प्रेमानंद जी महाराज मौन पर इतना जोर क्यों देते हैं?
मौन से व्यक्ति की एकाग्रता और आत्मिक शांति बढ़ती है। यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

2. माला जपते समय बात करना क्यों मना है?
माला जप के दौरान बातचीत से ध्यान भंग होता है, जिससे जप का प्रभाव खत्म हो सकता है।

3. भोजन के समय बात करना स्वास्थ्य के लिए कैसे हानिकारक है?
बातचीत के दौरान सांस लेने वाली नली खुल सकती है, जिससे भोजन फंसने का खतरा रहता है।

4. शौच करते समय मौन रहने की क्या वजह है?
बातचीत से हानिकारक कीटाणु शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हैं।

5. हवन करते समय मौन क्यों रहना चाहिए?
हवन आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने और आत्मा को शुद्ध करने का माध्यम है। बातचीत से इस क्रिया का प्रभाव कम हो सकता है।

6. चलते हुए बात करना क्यों हानिकारक है?
चलते समय ध्यान भटक सकता है, जिससे दुर्घटना होने का खतरा बढ़ जाता है।

7. क्या प्रेमानंद जी महाराज की शिक्षाएं केवल धार्मिक संदर्भ में हैं?
नहीं, उनकी शिक्षाएं जीवन को संतुलित और स्वस्थ बनाने के लिए हैं।

8. मौन का पालन करना कैसे आत्मिक उन्नति में मदद करता है?
मौन से व्यक्ति का ध्यान केंद्रित रहता है, जिससे आत्मिक ऊर्जा बढ़ती है।

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