पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने की मांग सरकारी कर्मचारी संगठनों द्वारा लंबे समय से की जा रही है। देशभर में कर्मचारियों ने इस मुद्दे पर धरना, प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों को प्रमुखता से उठाया है। अब, सरकार इस दिशा में अहम फैसला लेने की ओर अग्रसर दिख रही है। OPS बहाल होने के बाद सरकारी कर्मचारियों की वर्षों पुरानी मांग पूरी हो सकती है।
1 अप्रैल 2004 से लागू हुई नई पेंशन योजना
पुरानी पेंशन योजना को 1 अप्रैल 2004 से बंद कर दिया गया था, जब केंद्र और राज्य सरकारों ने नई पेंशन योजना (NPS) को लागू किया। इसके तहत पुरानी पेंशन के लाभ समाप्त हो गए। पिछले 19 वर्षों से कर्मचारी संगठनों द्वारा इसे फिर से बहाल करने की मांग की जा रही है। NPS लागू होने के बाद कर्मचारियों के पेंशन लाभ में बड़ा बदलाव देखा गया, जिससे कई संगठन असंतुष्ट हैं।
पुरानी पेंशन योजना बहाली के लिए राज्य कर्मचारी संघ का प्रयास
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे.एन. तिवारी ने इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई बार ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने NPS को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग की। उनके अनुसार, OPS कर्मचारियों को अधिक सुरक्षा और स्थायित्व प्रदान करती है, जबकि NPS के तहत पेंशन राशि बाजार की अस्थिरताओं पर निर्भर करती है।
तकनीकी चुनौतियां बनी हुई हैं बाधा
हालांकि, कई राज्यों ने OPS बहाल करने की दिशा में कदम उठाए हैं, लेकिन तकनीकी चुनौतियां अभी भी इस प्रक्रिया में बाधा बनी हुई हैं। इनमें सबसे बड़ा मुद्दा NPS के अंशदान को लेकर स्पष्टता की कमी है। इसके अलावा, 2009 तक केंद्र सरकार ने कुछ कर्मचारियों को शर्तों के साथ विकल्प दिए थे, लेकिन यह सुविधा सभी को उपलब्ध नहीं हो सकी।
उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र समिति का सहयोग
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मुद्दे पर राज्य कर्मचारी संगठनों से चर्चा की है। केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को लेकर एक समिति का गठन किया है, जो इसके तकनीकी और वित्तीय पहलुओं पर विचार कर रही है। समिति यह भी देख रही है कि NPS और OPS के बीच कर्मचारियों को चुनने का अधिकार दिया जा सकता है या नहीं।
नई पेंशन योजना के लिए संभावित विकल्प
नई पेंशन योजना में सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को शामिल करने का विकल्प भी सुझाया जा रहा है। साथ ही, सरकार कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन योजना चुनने का अधिकार दे सकती है। इससे दोनों व्यवस्थाओं के लाभ को संतुलित किया जा सकेगा।
भविष्य में बड़ा फैसला संभव
पुरानी पेंशन योजना की बहाली से कर्मचारियों की वित्तीय स्थिरता में सुधार हो सकता है। इसे लेकर आने वाले समय में सरकार कोई बड़ा फैसला ले सकती है, जो लाखों कर्मचारियों की उम्मीदों पर खरा उतरेगा। हालांकि, इस प्रक्रिया में वित्तीय और प्रशासनिक चुनौती बनी रहेगी।
FAQ
Q1. पुरानी पेंशन योजना कब बंद हुई थी?
पुरानी पेंशन योजना 1 अप्रैल 2004 से बंद कर दी गई थी, जब नई पेंशन प्रणाली (NPS) लागू की गई।
Q2. OPS और NPS में मुख्य अंतर क्या है?
OPS के तहत पेंशन राशि सरकारी फंड से दी जाती थी, जबकि NPS बाजार-आधारित निवेश पर निर्भर है।
Q3. पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग क्यों हो रही है?
कर्मचारी OPS को अधिक सुरक्षित और स्थिर मानते हैं, जबकि NPS बाजार की अस्थिरताओं पर निर्भर है।
Q4. सरकार इस पर क्या कदम उठा रही है?
केंद्र सरकार ने एक समिति का गठन किया है, जो OPS बहाली के तकनीकी और वित्तीय पहलुओं पर विचार कर रही है।
Q5. किन राज्यों ने OPS को बहाल किया है?
कुछ राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की दिशा में कदम उठाए हैं, लेकिन हर राज्य की स्थिति अलग है।
Q6. NPS के अंशदान को लेकर क्या चुनौतियां हैं?
NPS के अंशदान से संबंधित तकनीकी और प्रशासनिक मुद्दे स्पष्ट नहीं हैं, जिससे बहाली में देरी हो रही है।
Q7. क्या कर्मचारियों को योजना चुनने का अधिकार मिलेगा?
समिति इस पर विचार कर रही है कि कर्मचारियों को OPS और NPS के बीच चुनाव का अधिकार दिया जाए।
Q8. पुरानी पेंशन योजना कब तक बहाल हो सकती है?
सरकार की ओर से कोई निश्चित समयसीमा नहीं दी गई है, लेकिन समिति की सिफारिशों के आधार पर जल्द फैसला संभव है।