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RBI ने बदल दिया नियम, अब पर्सनल लोन लेना हो जाएगा मुश्किल, जानें क्या बदले नियम

RBI ने नए साल में पर्सनल लोन पर सख्त नियम लागू कर दिए हैं। अब क्रेडिट ब्यूरो को हर 15 दिन में रिपोर्टिंग अनिवार्य होगी। जानें, कैसे यह बदलाव आपकी लोन लेने की योजनाओं को प्रभावित कर सकता है और क्यों इसे उधारकर्ताओं पर नजर रखने के लिए गेमचेंजर माना जा रहा है

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RBI ने बदल दिया नियम, अब पर्सनल लोन लेना हो जाएगा मुश्किल, जानें क्या बदले नियम
RBI ने बदल दिया नियम, अब पर्सनल लोन लेना हो जाएगा मुश्किल, जानें क्या बदले नियम

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नए साल की शुरुआत के साथ पर्सनल लोन (Personal Loan) से जुड़े नियमों में अहम बदलाव किए हैं। इन बदलावों को लेकर RBI ने अगस्त 2023 में निर्देश जारी किए थे, जिन्हें लागू करने की अंतिम तिथि 1 जनवरी 2025 थी। अब यह नियम पूरी तरह से लागू हो चुके हैं। इन नए नियमों के तहत लोन लेने वालों और देने वालों दोनों के लिए प्रक्रियाएं अधिक सख्त हो गई हैं।

हर 15 दिन में होगी क्रेडिट रिपोर्टिंग

आरबीआई ने लोन के नियमों में सबसे बड़ा बदलाव यह किया है कि अब ऋणदाताओं (Lenders) को लोन लेने वालों की वित्तीय गतिविधियों की रिपोर्ट क्रेडिट ब्यूरो (Credit Bureau) को हर 15 दिन में देनी होगी। पहले यह रिपोर्टिंग चक्र एक महीने का होता था।

टीओआई (TOI) की रिपोर्ट के अनुसार, इस नई व्यवस्था से ऋणदाताओं के पास अधिक सटीक और अद्यतन डेटा उपलब्ध होगा, जिससे वे उधारकर्ताओं के जोखिम का बेहतर आकलन कर पाएंगे।

क्रेडिट सूचना कंपनी CRIF हाई मार्क के चेयरमैन सचिन सेठ ने कहा, “महीने में एक बार डेटा रिपोर्ट करने से भुगतान चूक (Default) या पुनर्भुगतान (Repayment) अपडेट में 40 दिनों तक की देरी हो सकती थी। 15-दिन की रिपोर्टिंग से यह देरी काफी कम हो जाएगी।”

बार-बार लोन लेने की प्रवृत्ति पर लगेगा अंकुश

आरबीआई के इस नए नियम का मुख्य उद्देश्य उन व्यक्तियों पर अंकुश लगाना है जो एक ही समय में कई ऋणदाता संस्थानों से लोन लेते हैं और पुनर्भुगतान की अपनी क्षमता से बाहर जाकर उधार लेते हैं।

एसबीआई (SBI) के चेयरमैन सी.एस. सेट्टी ने इस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बार-बार लोन लेने वाले व्यक्तियों की गतिविधियों को बेहतर तरीके से ट्रैक किया जा सकेगा। उन्होंने कहा, “नई व्यवस्था उधारकर्ता व्यवहार की स्पष्ट तस्वीर प्रदान करेगी और अत्यधिक उधार लेने की प्रवृत्ति को नियंत्रित करेगी।”

ब्लाइंड स्पॉट्स होंगे खत्म

नए नियमों के लागू होने से उधारकर्ताओं की अलग-अलग देय तिथियों (Due Dates) पर वित्तीय गतिविधियां अब दो सप्ताह के भीतर ही रिपोर्ट हो जाएंगी। यह कदम ब्लाइंड स्पॉट्स (Blind Spots) को समाप्त करने में सहायक होगा, जो पहले ऋणदाताओं को महत्वपूर्ण क्रेडिट डेटा तक पहुंचने में बाधा बनते थे।

CRIF हाई मार्क के सचिन सेठ ने कहा कि अब ऋणदाता अधिक सूचित और सटीक निर्णय ले पाएंगे, जिससे उधारकर्ताओं के व्यवहार और जोखिम का सही आकलन किया जा सकेगा।

उधारकर्ता-ऋणदाता संबंध होंगे पारदर्शी

इन नए नियमों के लागू होने से उधारकर्ता और ऋणदाता के बीच संबंध और अधिक पारदर्शी बनेंगे। ऋणदाताओं को अधिक बार डेटा रिपोर्टिंग करने से न केवल उनकी जोखिम प्रबंधन क्षमताओं में सुधार होगा, बल्कि यह क्रेडिट सिस्टम को भी मजबूत करेगा।

नई व्यवस्था से लाभ और चुनौतियां

यह बदलाव पर्सनल लोन लेने वालों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन इससे अधिक अनुशासन और वित्तीय पारदर्शिता आएगी। जिन व्यक्तियों की क्रेडिट हिस्ट्री मजबूत है, उन्हें इस बदलाव से कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, बार-बार लोन लेने वाले व्यक्तियों को अब अधिक जांच का सामना करना पड़ेगा।

1. नए नियम कब से लागू हुए हैं?
नए नियम 1 जनवरी 2025 से लागू हो चुके हैं।

2. हर 15 दिन में रिपोर्टिंग का क्या लाभ होगा?
इससे उधारकर्ताओं की वित्तीय गतिविधियों की सटीक और समय पर जानकारी मिलेगी, जिससे ऋणदाता अधिक सूचित निर्णय ले सकेंगे।

3. क्या इस बदलाव से पर्सनल लोन लेना मुश्किल होगा?
बार-बार लोन लेने वाले व्यक्तियों के लिए यह नियम चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

4. क्रेडिट ब्यूरो को रिपोर्टिंग पहले कितने अंतराल पर होती थी?
पहले यह रिपोर्टिंग हर महीने की जाती थी।

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