पंजाब में किसानों ने सरहिंद नहर (Sarhind Canal) के पक्का निर्माण के विरोध में बड़ा आंदोलन शुरू किया है। किसानों ने 3 जनवरी से खन्ना-जम्मू हाईवे और रोपड़-दोराहा रोड पर पक्का जाम (Highway Blocked) लगाने की घोषणा की है। यह प्रदर्शन भूजल संकट और कृषि भूमि के बंजर होने की आशंकाओं के चलते किया जा रहा है। किसान संगठनों का कहना है कि अगर नहर पक्की कर दी गई, तो जल स्तर गिर जाएगा और हजारों एकड़ भूमि बंजर हो सकती है।
नहर पक्का करने का विरोध: किसानों की चिंताएं
सरहिंद नहर को पक्का करने का काम रोपड़ से लुधियाना तक शुरू किया गया है। किसानों का कहना है कि नहर के निर्माण से जमीन में पानी का रिसाव बंद हो जाएगा। इससे जलस्तर और नीचे चला जाएगा, जो पहले ही पंजाब में बड़ी समस्या बन चुका है।
पंजाब में भूजल संकट गहराता जा रहा है। किसान लंबे समय से इस पर चिंता जता रहे हैं। उनका मानना है कि नहर के पक्का होने से भूजल पुनर्भरण की प्रक्रिया बाधित होगी। किसानों के अनुसार, अगर ऐसा हुआ तो न केवल फसल उत्पादन प्रभावित होगा, बल्कि आसपास की जमीन भी बंजर हो सकती है।
किसान संगठनों का विरोध
किसान यूनियनों, जैसे लक्खोवाल, राजेवाल, कादियां और सिधूपुर, ने गढ़ी गांव में एक सभा की और नहर के निर्माण के खिलाफ एकजुटता दिखाई। उन्होंने ऐलान किया कि प्रशासन से बातचीत और समाधान न मिलने तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
सभा के बाद, 3 जनवरी को सुबह 10 बजे गढ़ी पुल पर पक्का मोर्चा लगाने का निर्णय लिया गया। किसान संगठनों ने प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र देकर इस काम को तुरंत रोकने की मांग की है।
सरकार की नीतियों पर सवाल
किसान नेताओं ने पंजाब सरकार और केंद्र सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि नहर को पक्का करने का फैसला पर्यावरण के लिए खतरा बन सकता है।
किसानों का कहना है कि सरकार को भूजल संकट के स्थायी समाधान पर विचार करना चाहिए। उनका मानना है कि नहर का पक्का निर्माण पानी बचाने के बजाय खतरा बढ़ा देगा। इसके अलावा, इससे किसानों की भविष्य की फसलों पर भी असर पड़ेगा।
सड़क जाम से लोगों को असुविधा
किसानों ने स्वीकार किया है कि उनके इस कदम से आम जनता को असुविधा हो सकती है। खन्ना-जम्मू हाईवे और रोपड़-दोराहा रोड पर ट्रैफिक बाधित होने की संभावना है।
हालांकि, किसानों का कहना है कि यह कदम उनकी जमीन बचाने और जल संकट की ओर सरकार का ध्यान खींचने के लिए जरूरी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
राजनीतिक समर्थन की कोशिश
किसान यूनियनों ने आंदोलन में राजनीतिक दलों को शामिल होने का निमंत्रण दिया है। उनका मानना है कि राजनीतिक समर्थन से उनके आंदोलन को मजबूती मिलेगी और उनकी मांगों को क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर उठाने में मदद मिलेगी।
किसानों की प्रमुख मांगें
- सरहिंद नहर के पक्का निर्माण को तुरंत रोका जाए।
- नहर निर्माण के लिए वैकल्पिक समाधानों पर विचार किया जाए।
- पर्यावरण और किसानों के भविष्य को प्राथमिकता दी जाए।
आंदोलन का संभावित प्रभाव
किसानों के इस आंदोलन से सरकारी योजनाओं और आम जनजीवन पर बड़ा असर पड़ सकता है। ट्रैफिक जाम के चलते यात्रियों और व्यापारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, क्षेत्रीय विकास योजनाओं में भी देरी हो सकती है।
जल संकट और कृषि भविष्य
पंजाब में पहले से ही गिरता हुआ भूजल स्तर किसानों के लिए गंभीर समस्या बन चुका है। नहर का पक्का निर्माण इसे और बढ़ा सकता है। किसानों ने सरकार से इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार को जल संकट और पर्यावरण को प्राथमिकता देते हुए समाधान निकालना चाहिए।