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जजों के रिश्तेदार नहीं बन पाएंगे हाई कोर्ट में जज, SC कॉलेजियम में नया प्रस्ताव

न्यायपालिका में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए SC कॉलेजियम का ऐतिहासिक फैसला। अब हाई कोर्ट के जज बनने से पहले होगी गहन जांच और इंटरव्यू। वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने इस बदलाव को बताया ‘जरूरी सुधार’। जानें, क्यों यह प्रक्रिया न्यायिक प्रणाली को बदल सकती है

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जजों के रिश्तेदार नहीं बन पाएंगे हाई कोर्ट में जज, SC कॉलेजियम में नया प्रस्ताव
जजों के रिश्तेदार नहीं बन पाएंगे हाई कोर्ट में जज, SC कॉलेजियम में नया प्रस्ताव

भारतीय न्यायिक प्रणाली में सुधार के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (SC Collegium) ने हाई कोर्ट जजों के रूप में नियुक्ति के लिए अनुशंसित वकीलों और न्यायिक अधिकारियों से बातचीत करने का फैसला किया है। यह निर्णय उनकी क्षमता, योग्यता और उपयुक्तता को आकलित करने के लिए लिया गया है। इस फैसले की सबसे पहले रिपोर्ट टाइम्स ऑफ इंडिया ने की थी।

SC कॉलेजियम का यह प्रस्ताव भारतीय न्यायपालिका में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि इसे प्रभावी रूप से लागू किया जाता है, तो यह प्रक्रिया में पारदर्शिता और योग्यता सुनिश्चित करने के साथ-साथ न्यायिक संस्थानों की प्रतिष्ठा को भी मजबूती प्रदान करेगा।

कॉलेजियम प्रणाली में बदलाव का संकेत

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस प्रस्ताव को सकारात्मक और सुधारात्मक करार दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं। उनके मुताबिक, यह प्रस्ताव न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया में लंबे समय से चली आ रही समस्याओं का समाधान कर सकता है।

सिंघवी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि दशकों पहले उन्होंने सुझाव दिया था कि कॉलेजियम के जजों को उम्मीदवारों की अदालत में भेष बदलकर उनकी कार्यशैली का निरीक्षण करना चाहिए। उन्होंने इसे सुल्तानों की पुरानी परंपरा से जोड़ते हुए कहा कि जैसे राजा अपनी जागीर की समस्याओं का प्रत्यक्ष अनुभव करने के लिए गुप्त रूप से दौरा करते थे, वैसे ही यह कदम वास्तविकता का पता लगाने में सहायक हो सकता है।

इंटरव्यू प्रक्रिया, सुधार का दूसरा सर्वश्रेष्ठ उपाय

हालांकि, सिंघवी ने यह भी कहा कि प्रस्तावित इंटरव्यू उनके सुझाव जितना प्रभावी नहीं है, लेकिन यह दूसरा सबसे अच्छा उपाय है। उन्होंने कहा कि भेष में जाकर निरीक्षण करना भले ही अवास्तविक लगे, लेकिन यह सुधारात्मक प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बना सकता है।

न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया में पारदर्शिता आवश्यक

सिंघवी ने न्यायिक प्रणाली में व्याप्त समस्याओं पर जोर देते हुए कहा कि वर्तमान में नियुक्तियों की प्रक्रिया अस्पष्ट है और इसमें सुधार की जरूरत है। उन्होंने इसे “एक-दूसरे की पीठ खुजाने”, “चाचा जज” और “पारिवारिक वंश” जैसे कारकों से प्रभावित बताया। उनका मानना है कि ऐसी स्थितियां योग्य उम्मीदवारों का मनोबल गिराती हैं और संस्था की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाती हैं।

सिस्टम सुधार के लिए वांछनीय कदम

वरिष्ठ अधिवक्ता ने यह भी माना कि सुधार लाना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर यह प्रणाली सुधार के प्रयासों के मुकाबले मजबूत साबित हुई है। इसके बावजूद, इंटरव्यू प्रक्रिया और उम्मीदवारों की क्षमता का प्रत्यक्ष आकलन न्यायिक प्रणाली को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बना सकता है।

क्या बदलाव जल्द लागू होंगे?

सिंघवी का मानना है कि SC कॉलेजियम के विचाराधीन दोनों प्रस्ताव, हालांकि कट्टरपंथी प्रतीत होते हैं, लेकिन अच्छे हैं और इन्हें जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए। उनके अनुसार, यह कदम न्यायिक नियुक्तियों की गुणवत्ता और निष्पक्षता को बढ़ाने में सहायक होगा।

1. SC कॉलेजियम ने यह फैसला क्यों लिया है?
SC कॉलेजियम ने हाई कोर्ट जजों की नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों की क्षमता और योग्यता को बेहतर तरीके से परखने के लिए यह फैसला लिया है।

2. प्रस्तावित इंटरव्यू प्रक्रिया कैसे काम करेगी?
यह प्रक्रिया उम्मीदवारों से बातचीत कर उनकी योग्यता और उपयुक्तता का आकलन करेगी।

3. सिंघवी ने इस फैसले पर क्या प्रतिक्रिया दी?
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस फैसले को सकारात्मक और सुधारात्मक बताया है।

4. न्यायिक नियुक्तियों में सुधार की आवश्यकता क्यों है?
वर्तमान प्रक्रिया में अस्पष्टता, पक्षपात और पारिवारिक वंशवाद जैसे मुद्दे मौजूद हैं, जो सुधार की आवश्यकता को दर्शाते हैं।

5. क्या यह सुधार आसानी से लागू हो सकता है?
सिंघवी के अनुसार, सुधार लागू करना आसान नहीं है, लेकिन यह न्यायिक प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बना सकता है।

6. क्या यह कदम भारतीय न्यायपालिका में स्थायी बदलाव लाएगा?
अगर इसे प्रभावी रूप से लागू किया गया, तो यह न्यायिक प्रणाली में स्थायी सुधार ला सकता है।

7. इंटरव्यू प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य उम्मीदवारों की वास्तविक योग्यता और अदालत में उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन करना है।

8. इस फैसले से न्यायपालिका को क्या लाभ होगा?
यह प्रक्रिया न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देगी, जिससे न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को मजबूती मिलेगी।

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