राजस्थान में लगातार गिरते तापमान और मौसम विभाग के अलर्ट को देखते हुए राज्य सरकार ने 21 जिलों में स्कूलों के शीतकालीन अवकाश को बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, कोटा, गंगानगर, बारां, करौली, चूरू, झालावाड़, सवाई माधोपुर, कोटपुतली बहरोड़, खैरथल-तिजारा, डीडवाना-कुचामन और डीग जैसे जिलों में लागू होगा। यह कदम बच्चों की सुरक्षा और ठंड से बचाव के लिए उठाया गया है।
मौसम विभाग की चेतावनी के अनुसार, इन जिलों में अगले कुछ दिनों तक शीतलहर जारी रहने की संभावना है। इसीलिए, प्रशासन ने स्कूलों में अवकाश को बढ़ाकर बच्चों और उनके अभिभावकों को राहत देने का प्रयास किया है।
मौसम विभाग का अलर्ट और शीतलहर का प्रभाव
राजस्थान में इस समय शीतलहर का प्रकोप जारी है, और न्यूनतम तापमान में लगातार गिरावट देखी जा रही है। मौसम विभाग ने इन जिलों में अत्यधिक ठंड का अलर्ट जारी किया है। इसके साथ ही, सर्द हवाओं और कोहरे के कारण जनजीवन प्रभावित हो रहा है। ऐसे में छोटे बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है।
अलवर और दौसा जैसे जिलों में तापमान सामान्य से कई डिग्री नीचे पहुंच गया है। कोहरे की घनी परत और सुबह की ठंडी हवाओं के चलते स्कूलों में उपस्थित बच्चों की संख्या भी कम देखी जा रही थी। इसे ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने अवकाश बढ़ाने का फैसला लिया।
किन जिलों में बढ़ाया गया शीतकालीन अवकाश?
राजस्थान के जिन 21 जिलों में शीतकालीन अवकाश बढ़ाया गया है, उनमें प्रमुख रूप से भरतपुर, अलवर, दौसा, जयपुर, कोटा, करौली, चूरू और गंगानगर शामिल हैं। इसके अतिरिक्त झालावाड़, बारां, सवाई माधोपुर, कोटपुतली बहरोड़, डीडवाना-कुचामन, खैरथल-तिजारा और डीग जिलों के स्कूल भी इस आदेश के तहत आते हैं।
इन जिलों के स्कूलों में ठंड के प्रकोप के चलते पहले से ही छुट्टियां घोषित की गई थीं, लेकिन अब इन्हें बढ़ाकर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
शीतलहर का असर और बच्चों की सुरक्षा
शीतलहर के कारण छोटे बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना रहती है। बच्चों के लिए यह समय विशेष रूप से संवेदनशील होता है, क्योंकि वे जल्दी सर्दी-जुकाम और बुखार जैसी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी अत्यधिक ठंड के समय घरों में रहने की सलाह दी है।
सरकार ने स्कूलों में अवकाश बढ़ाकर बच्चों को इस ठंड से बचाने का प्रयास किया है। इससे न केवल बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि अभिभावकों को भी राहत मिलेगी।
शीतलहर से बचने के उपाय
इस शीतलहर के दौरान बच्चों और परिवारों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए। ऊनी कपड़ों का उपयोग करें, गर्म पेय पदार्थों का सेवन करें और सुबह-सुबह बाहर जाने से बचें। खासतौर पर बच्चों को कोहरे और ठंडी हवाओं से दूर रखने का प्रयास करें।
प्रशासन का निर्देश
स्कूल प्रशासन को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि अवकाश के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं या किसी अन्य गतिविधि के लिए छात्रों को बाध्य न करें। मौसम विभाग की रिपोर्ट्स पर नजर रखते हुए अवकाश की अवधि आगे बढ़ाने पर भी विचार किया जा सकता है।
अभिभावकों की प्रतिक्रिया
इस निर्णय पर अभिभावकों ने संतोष जताया है। उनका कहना है कि बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, और इस दिशा में यह कदम सराहनीय है।
शीतकालीन अवकाश के कारण स्कूल प्रशासन पर प्रभाव
शीतकालीन अवकाश बढ़ने से स्कूलों के शैक्षणिक कैलेंडर पर असर पड़ सकता है। हालांकि, स्कूल प्रशासन ने इस चुनौती का सामना करने के लिए वैकल्पिक योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। अतिरिक्त कक्षाएं और विशेष सत्र आयोजित करके पढ़ाई के नुकसान को कम करने का प्रयास किया जाएगा।